शनि चालीसा हिंदी लिरिक्स पीडीएफ Download | Shani Chalisa Hindi Lyrics PDF
PDF Name | श्री शनि चालीसा पाठ PDF | Shani Dev Chalisa Hindi PDF Download |
No. Of Pages | 3 |
PDF Size | 0.2 MB |
PDF Language | Hindi |
Catagory | Religion & Spirituality |
Source | Agragami.in |
Download Link | Given here |
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शनि चालीसा क्या है | What is Shani Chalisa in Hindi PDF
नमस्कार साथियों, आज हम आपके साथ शनि चालीसा का संपूर्ण हिंदी लिरिक्स पीडीएफ अर्थ के साथ / Shani Chalisa Full Hindi Lyrics PDF with meaning शेयर करने वाले हैं। लेकिन उससे पहले कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें शनि चालीसा के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है, जैसे कि इसका सटीक पाठ के विधि और नियम इत्यादि। क्योंकि सटीक की विधि और नियम को माने बिना इसके पाठ आपको लाभ की जगह हानि भी पहुंचा सकती है।

दोस्तों शनि चालीसा शनि देव को अर्पित करके ही रचना किया गया एक बहुत शक्तिशाली और लाभदाई स्तुति मंत्र है। इस चालीसा के शुरुआत में गणेश जी का वंदन करके शुरू किया गया है, उसके बाद विभिन्न श्लोक में शनिदेव का गुणगान और उनके महिमा का वर्णन किया गया है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा का दैनिक पाठ बहुत ही आवश्यक है।
बहुत लोगों को ज्योतिष कहते हैं कि उनकी कुंडली में शनि ग्रह का दोष है, जिसके वजह से बहुत सारे प्रयास और मेहनत के बावजूद उनके जीवन में धन और सुख आदि के प्राप्ति होना असंभव हो जाता है। तो उन लोगों को शनिदेव के नियमित आराधना के साथ-साथ शनि चालीसा का भक्ति पूर्वक पाठ करना बहुत जरूरी हो जाता है।
इसके अलावा भी अगर आप प्रतिदिन शनि चालीसा का पाठ और शनिदेव के व्रत रखते हुए उनका आराधना करते हैं, तो आपके जीवन में से समस्त समस्या का समाधान होके धन और सुख की प्राप्ति होने की संभावना और भी बढ़ जाता है। अब शनि चालीसा के समस्त श्लोक और इसके हिंदी अर्थ देख लीजिए:
शनि चालीसा हिंदी लिरिक्स अर्थ सहित | Shani Chalisa Hindi Lyrics With Meaning
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
मूलार्थ: हे गणेश जी माता पार्वती के पुत्र, आपकी कृपा अपार है। दिन व्यक्ति की दुख दूर करके आप उसके जीवन खुशहाल कीजिए। हे शनिदेव प्रभु आपकी जय हो, हमारी प्रार्थना स्वीकार कीजिए। हे सूर्यपुत्र आप हमारे मंगल करके हमारे लाज रखें।
॥चौपाई॥
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
मूलार्थ: जय हो दयालु शनि देव महाराज, सदा भक्तों की प्रतिपालन करने वाले की। अबकी चार हाथ, और शाम रंग आपको शोभा देता है। आपके माथे पर रतन मुकुट जगते हैं। आपका विशाल भाला मनोहरी है, अबकी दृष्टि टेढ़ी, और भृकुटि विकराल है। आपकी कानों में सुनहरा कुंडल चमक रहे हैं, आपकी गले में मुक्त और मनी के मार्ले जच रहे हैं। आपकी हाथों में त्रिशूल और कोठार सज्जित है, आप क्षण भर में शत्रु का विनाश करते हैं।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
मूलार्थ: पिंगल, कृष्ण, छाया पुत्र, यम, कोणस्थ, रौद्र, दु:ख भंजन, सौरी, मन्द, शनि देव – ये दस नाम आपके हैं। हे रवि पुत्र आपको समस्त कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है। जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, वह पल भर में दिन दरिद्र से राजा बन जाता है, उसके लिए पहाड़ जैसा समस्या भी तिनका बन जाती है। और जिस पर आपकी टेढ़ी दृष्टि पड़ती है उसको तिनका का भी पहाड़ जैसा लगता है।
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥
मूलार्थ: प्रभु श्री राम को राज सुख के बदले वनवास मिला था आपकी ही इच्छा पर। आपकी ही इच्छा से केकैयी का बुद्धि हिन हो गया था। आपकी ही प्रभाव से बन में मृग का चलना माता सीता समझने में असफल और उसकी हरण हुई। आपकी ही प्रभाव से लक्ष्मण जी का शक्ति नष्ट हुआ और पूरी सेना में हाहाकार मच गया। आपकी ही असर से रावण की बुद्धि भ्रष्ट हुई और वह रामचंद्र जी से शत्रुता बढ़ाई। आपकी ही इच्छा से बजरंगबली जी ने लंका को तितर-बितर कर दिया और पूरे विश्व में उनकी डंका बज गई। आपकी ही दृष्टि के कारण राजा विक्रमादित्य का वनवास जैसी हाल हुई, और मयूर की चित्र ने हार निगल लिया। इस इस हार की चोरी के इल्जाम उन पर परी, और उनकी हाथ पैर तोड़ दिया गया। अब किसी दशा के प्रभाव से विक्रमादित्य को तेलि की घर में कोल्हू चलाना पड़ा। और उन्होंने जब दीपक तिथि में आपका आराधना किया, तो आपने उनकी सब सुख समृद्धि वापस लौटा दिए।
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥
मूलार्थ: आपकी जी प्रभाव से राजा हरिश्चंद्र के पत्नी को भी बिकना परा, और उनको दो मुखी घर में जल भरना पड़ा। आपकी ही दशा से राजा नल और रानी दमयंती की बुरी हाल हुई और, कुटी हुई मछली भी जल में कूद पड़ा। आपकी प्रभात जब भगवान शंकर और माता पार्वती के ऊपर पड़ी, तुम माता ने हवन की कुंड में अपनी जान त्याग दी। आपकी ही दृष्टि के असर से गणेश जी का सर शरीर से अलग हो गया। पांडवों पर आप की दशा पढ़ने पर द्रोपदी को वस्त्र हरण जैसी कष्टदायक हाल से गुजरना पड़ा। आपकी जो सर से गौरव भोकी बुद्धि भ्रष्ट हुई और महाभारत युद्ध की परिस्थिति आई। आपकी प्रभाव से स्वयं आपके पिता स्वयं सूर्य देव भी नहीं बच पाया और आप उन्हें मुंह में लेकर पाताल में समाहित हो गए। अतः देवताओं की लाख विनती के बाद अपने सूर्य देव को मुक्त किया।
वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्ज हय गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
मूलार्थ: हे शनिदेव साथ वाहन आपकी सेवा करते हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार एवं सिंह मतलब शेर जिसके ऊपर विराज होकर आप प्रकट होते हैं, जैसी ज्योतिष शास्त्र वर्णन औ करती है। आपकी हाथी पर सवार होकर आने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और घोड़े पर विराज होकर आने पर सुख संपत्ति की लाभ होती है। गधा में सवार होकर आने पर कार्य में बाधा आती है, और शेर में आने पर व्यक्ति की रुतबा और प्रभाव बढ़ती है। अगर सियार आपकी सवारी का बहन हो तो व्यक्ति की बुद्धि नष्ट होती है, और अगर हिरन हो तो व्यक्ति की जान संकट में पड़ जाती है। और प्रभु जब आप कुत्ते को बहन बना कर आते हैं तो कोई भारी नुकसान का संकेत होता है। हे शनिदेव आपकी चरण सोना, चांदी, लोहा और तांबा इन चार धातुओं की बनी होती है। जब आप लोहे की चरण लेकर आते हैं तो धन और संपत्ति की नष्ट होने का इशारा होता है। आपकी चांदी और तांबे की पैर में आना सामान्य शुभकारी होती है, और जब आप सोने की पैर में पधार रहे होते हैं तो सर्वोत्तम सुख और समृद्धि का प्राप्ति होता है।
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
मूलार्थ: जो भी शनि देव की इस पवित्र स्तुति का पाठ करेगा, उस पर कभी शनिदेव का कूदशा नहीं आएगा। उस पर शनिदेव अपनी अद्भुत शक्तियों की लीला बरसाते हैं और उसकी शत्रु का विनाश करते हैं। जो भी विधि को मानकर पंडित को बुलाके शनि देव की आराधना और सनी ग्रह को शांत करवाता है। जो व्यक्ति शनिवार को पीपल के पेड़ के सामने जल और दीपक अर्पण करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है। शनिदेव प्रभु की परम भक्त रामसुंदर भी कहता है शनिदेव की पूजा और आराधना से उनकी कृपा बरसती है और व्यक्ति को परम सुख शांति की प्राप्ति होती है।
॥दोहा॥
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
॥जय श्री शनिदेव की॥
शनि चालीसा पाठ के फायदे | Benefits of Chanting Shani Chalisa Hindi
शनि चालीसा का नियमित पाठ के कुछ अवश्य फायदे जान लीजिए:
- शनि देव न्याय के देवता है, इसलिए शनि चालीसा का नियमित पाठ आपको आपके कर्मों के शुभ फल प्राप्ति होने में मदद करती है।
- जिन लोगों की कुंडली में शनि देवता का बुरी नजर होता है और शनि की साढ़ेसाती जैसे दोष होता है, उनके लिए शनि चालीसा का नियमित पाठ आवश्यक है।
- शनि चालीसा के नियमित पाठ आपके मन को साफ और निर्मल करते हैं, आप न्याय और सत्य की मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं।
- आपके मन में न्याय और सत्य की ऊपर विश्वास और भी कठोर हो जाता है। आपके आत्मविश्वास और साहस और दृढ़ हो जाते हैं।
- शनि चालीसा के पाठ से शनि ग्रह के साथ-साथ और भी ग्रहों का बुरी प्रभाव आपके कुंडली में से कम हो जाता है। इसलिए आपकी जीवन हर तरफ से समृद्ध होने का संभावना बढ़ जाती है।
- आप और लोगों की कुदृष्टि और हिंगसा से मुक्त रहते हैं। शत्रु आप को हानि पहुंचाने मैं व्यर्थ होते हैं।
- शनिवार में शनि चालीसा का पाठ सुख और समृद्धि की प्राप्ति और भी जल्द होने की संभावना बहुत बढ़ा देती है।
- शनि चालीसा का नियमित पाठ आपको झूठे इंतजाम, दुर्घटना इत्यादि बुरी चीजों से बचाए रखते हैं।
अब, शनि चालीसा को सटीक तरीके से पाठ करने की संपूर्ण विधि और नियम नीचे देख लीजिए:
शनि चालीसा पाठ के विधि | Process of Chanting Shani Chalisa
दोस्तों शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है, मनुष्य की जीवन में किया गया हर काम का न्याय विचार और कर्मों के फल दान करने की जिम्मेदारी शनिदेव की होती है। मनुष्य की जीवन में किया गया कोई भी काम भला या बुरा शनिदेव से नहीं छुपता है, और वो इन कामों का विचार एवं न्याय करते हैं। इसलिए शनिदेव की चालीसा का पाठ आपके मन में आत्मविश्वास और सत्य-न्याय के ऊपर विश्वास को दृढ़ बनाता है। आप विश्वास करते हैं कि: अगर मैं सत्य और न्याय की मार्ग पर चलूंगा तो मुझे अपने कर्मों का शुभ फल अवश्य मिलेगा।
शनि चालीसा के पाठ के कुछ विधि नियम जान लीजिए:
- शनिदेव की आराधना से पहले आप अपने आप को स्वच्छ और साफ कर ले, इसके बाद आराधना शुरू करें।
- आप निकटतम शनि मंदिर में जाए और सरसों की तेल का दीपक जलाएं, और उस दीपक को उनकी शीला मूर्ति के सामने स्थापन करें।
- अगर आप के आस पास कोई शनि देव का मंदिर ना हो तो आप शनिदेव जी कोई पीपल की पेड़ के सामने भी उस दीपक को स्थापन कर सकते हैं।
- शनि देव को काली तिल और काली उदड़ बहुत पसंद होती है, इसलिए आप इन सब से बनी चीजों की भोग जरूर चढ़ाएं।
- भोग चढ़ाने के बाद आप शनिदेव के प्रति अपना भक्ति भाव को स्थिर करें और शनि चालीसा का पाठ शुरू करें।
- शनि चालीसा को शनिवार के दिन शाम के वक्त पाठ करना और भी लाभदाई माना जाता है, इसलिए आप इसका प्रयास जरूर करें।
- चालीसा का पाठ संपूर्ण करने के बाद आप शनिदेव की प्रसाद भक्तों में बांट लें।
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FAQs – Shani Chalisa Hindi Lyrics PDF Download
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शनि चालीसा पाठ के फायदे क्या है – What are the Benefits of Chanting Shani Chalisa?
शनि चालीसा पाठ करने के फायदे हैं, और इसके नुकसान भी यहां जान लीजिए।