Download Ram Raksha Stotra Hindi PDF | राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में डाउनलोड
PDF Name | राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित Download | Ram Raksha Stotra in Hindi PDF |
No. Of Pages | 1 |
PDF Size | 1.42 MB |
PDF Language | Hindi |
Catagory | Religion & Spirituality |
Source | Agragami.in |
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रामरक्षा स्तोत्र क्या है | What is Ram Raksha Stotra Hindi
रामरक्षा स्तोत्र प्रभु श्री राम को समर्पित किया गया एक बहुत ही शक्तिशाली स्तुति मंत्र है।
कहा जाता है कि यह राम रक्षा स्तोत्र स्वयं देवों के देव महादेव के द्वारा उत्पन्न किया गया है। कहा जाता है कि महादेव ने ऋषि बुध कौशिक को स्वप्न में दर्शन देकर यह राम रक्षा स्तोत्र सुनाया था। और उसके बाद सुबह उठकर ऋषि कौशिक ने इस स्तोत्र का भोजपत्र के ऊपर लिख दिया था। ऐसे हुआ राम रक्षा स्तोत्र का जन्म।

संपूर्ण राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित | Full Ram Raksha Stotra with Hindi Meaning
ॐ अस्य श्री रामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः,
श्री सीतारामचन्द्रोदेवता, अनुष्टुप् छन्दः, सीताशक्तिः,
श्रीमद्हनुमान कीलकम् श्रीसीतरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।।
अर्थ:- इस रामरक्षा स्तोत्र को ऋषि कौशिक ने रचना किया है, रामचंद्र और सीता देवता है, अनुष्टुप छंद हैं, सीता माता शक्ति है, हनुमान जी किलक है तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के लिए रामरक्षा स्तोत्र की पाठ किया जाता है।
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
अर्थ:- जो धनुष और बाण को धारण क्या हुआ है, प्रदर्शन की मुद्रा में विराजित हैं, और पीताम्बर धारण किए हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दलों से स्पर्धा करते हैं, जिनके चित्र प्रसन्न है, जिनके भाई और सीता माता बैठे हुए हैं, मुख कमल रंगीत हुए हैं तथा जिनका बर्न बादल की तरह घन है, उन अजानबाहु, विभिन्न रिवर उसे भुषित जटाधारी श्री रामचंद्र जी का ध्यान करता हूँ।
॥ इति ध्यानम् ॥
श्री राम रक्षा स्तोत्र:
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
अर्थ:- श्री रघुनाथजी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार जैसे हैं। उसका हर-एक अक्षर महा पातकों को नष्ट करने वाला क्षमता रखता है।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
अर्थ:- नीले कमल के अनुरूप रंग वाले, कमल जैसे आंखों वाले , जटाओं द्वारा मुकुट जैसे सुशोभित, जानकी एवं लक्ष्मण जी के साथ ऐसे भगवान श्री रामचंद्र जी का स्मरण करते हुए,
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगन्नातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
अर्थ:- जिसका जन्म ना हुआ हो, एवं सर्वव्यापक, हाथों में खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण करके राक्षसों के अंत तथा अपनी लीलाओं से जगत को रक्षा करने के लिए अवतीर्ण श्री रामचंद्र जी का स्मरण करके,
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः॥४॥
अर्थ:- मैं सभी मन की आशा को पूर्ण करने वाले और हर पापों की नाश करने वाले राम रक्षा स्तोत्र का स्तुति करता हूँ। राम जी मेरे सिर की और दशरथ के जेष्ठ पुत्र मेरे रक्षा करें।
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
अर्थ:- कौशल्या के पुत्र मेरे आंखों की, विश्वामित्र जी के प्रिय मेरे कर्नो की, यज्ञ रक्षक मेरे नासिका की और सुमित्रा देवी के वत्सल मेरे मुंह की रक्षा करें।
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥६॥
अर्थ:- मेरी जीहवा की रक्षा करें, भरत जिसकी वंदना करता है वह मेरे गले की रक्षा करें, कंधों की दिव्य आयु और हाथों की महादेव का धनुष दो टुकड़े करने वाले भगवान श्री रामचंद्र रक्षा करें।
करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
अर्थ:- मेरे भुजाउ की सीता माता के पति श्री राम रक्षा करें, हृदय की जमदग्नि ऋषि के पुत्र को हरा देने वाले, मध्य भाग की खर के वध-कर्ता एवं नाभि के जांबवान के आश्रय देने वाले रक्षा करें।
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
अर्थ:- मेरे कमर की सुग्रीव के आराध्य, हडियों की हनुमान के परम-प्रभु और सभी रघुओं का सर्वश्रेष्ठ और राक्षसकुल का निधन करने वाले श्री रामचंद्र मेरे जाँघों की रक्षा करें।
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥९॥
अर्थ:- सेतु का निर्माता मेरे घुटनों की, दशानन का संघार करने वाले मेरे अग्रजंघा की, विभीषण को परम ज्ञान देने वाले मेरे पैरों की और सम्पूर्ण शरीर की प्रभु श्री रामचंद्र रक्षा करें।
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
अर्थ:- शुभ कर्म करने वाला जो व्यक्ति भक्ति एवं श्रद्धा के साथ मन में राम-वल लेकर इस स्तोत्र का पाठ करेगा, वह दीर्घ आयु, सुखी, पुत्रवान, जयी और विनय बांन हो जाता हैं।
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
अर्थ:- जो जीव पाताल लोक, पृथ्वी और आकाश में विचरण करते रहते हैं अथवा छद्मवेश में चलते रहते हैं, वह रामचंद्र के द्वारा सुरक्षित प्रानी को देख भी नहीं पाते।
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
अर्थ:- राम, रामभद्र एवं रामचंद्र आदि नामों का जप करने वाला राम-भक्त पाप कर्म में लिप्त नहीं होता, इतना ही नहीं, वोह व्यक्ति भक्ति और मोक्ष दोनों को अवश्य रूप से प्राप्त करता है।
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥१३॥
अर्थ:- जो व्यक्ति राम नाम से सुरक्षित किया हुआ जगत के ऊपर विजय करने वाले इस मन्त्र को अपने कंठ में कंठस्थ करता है, उसे हर सिद्धियाँ संपूर्ण रुप से प्राप्त हो जाता हैं।
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्। ॥१४॥
अर्थ:- जो व्यक्ति वज्रपंजर नामक इस राम-कवच का मन में स्मरण करता हैं, उसकी आज्ञा का कहीं पे भी अमान्य नहीं होता तथा उसे हर समय विजय और सुमंगल की ही प्राप्ति होती हैं।
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
अर्थ:- सपनों में बुध कौशिक ऋषि को महादेव शिव जी का आदेश देने पर बुध कौशिक ऋषि ने सुबह जागने के बाद इस स्तोत्र को रचना किया।
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
अर्थ:- जो कल्पवृक्ष के बगीचे जैसे विश्राम प्रदान करता हैं, जो समस्त समस्या को दूर करते हैं और जो तीनो लोकों में सबसे सुंदर हैं, वही श्री रामचंद्र हमारे प्रभु हैं।
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
अर्थ:- जो तरुण व्यक्ति, अत्यंत सुन्दर, सुकुमार, महाबली एवं जिसका ओके कमल फुल के जैसे विशाल हैं, मुनियों की जैसे वस्त्र एवं काला हिरन का खाल धारण करते हैं।
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
अर्थ:- जो फल आदि और कंद की आहार करते हैं, जो आत्म संयमी, तपस्या करने वाले एवं ब्रम्हचर्य पालन करने वाले हैं, बो दशरथ के संतान रामचंद्र और लक्ष्मण दोनों भ्राता हमारी रक्षा करें।
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
अर्थ:- ऐसे महाशक्तिशाली रघुवंश के श्रेष्ठ मर्यादा पुरूषोतम समस्त जीवो के आश्रयदाता, सभी धनुर वीरो में श्रेष्ठ और राक्षस कूल का संपूर्ण संघार करने वाले हमारी रक्षा करें।
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग संगिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
अर्थ:- तीर धनुष धारण किए, बाण का धारण करते रहे, अक्षय बाणों से सज्जित तुणीर धारण किये हुए रामचंद्र और लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए मेरे अग्र स्थान में स्थित होकर चलें।
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथोऽस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥२१॥
अर्थ:- तीव्र गति वाले, कवच-धारी, हाथ मे खड्ग, तीर धनुष धारण किये युवा भगवान रामचन्द्र लक्ष्मण के साथ अग्र स्थान रक्षा करें।
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
अर्थ:- भगवान महादेव का कथन है की रामचंद्र, दाशरथी, शूर वीर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ, आदि पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुत्तम,
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥
अर्थ:- वेदांत-वेद्य, यज्ञेश, पुराण के पुरूषोत्तम, जानकी नंदन, श्री मान और श्री अप्रमेय-पराक्रम,
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
अर्थ:- इन नामों का प्रतिदिन श्रद्धा के साथ जप करने वाले को निश्चित अश्वमेध यज्ञ से भी ज्यादा पुण्य लाभ होता हैं इसमें कोई संदेह नहीं है।
रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामिभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणौ नरः ॥२५॥
अर्थ:- दूर्वा-दल के जैसे श्याम रंग वाले, कमल समान नेत्र और पीतांबरधारी श्री रामचंद्र की उपरि उक्त दिए गए नाम लिए स्तुति करने वाला संसार कि चक्रवत में नहीं पड़ता।
रामं लक्ष्मण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ॥
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
अर्थ:- लक्ष्मण के जेस्ट रघुराम, सीता पति, काकुत्स्थ राजा के बंशधर, करुणामई, गुण-निधान, विप्रों के आराध्य, परम धर्म रक्षक, राजा उमेश श्रेष्ठ, सत्यवान, दशरथ पुत्र, शाम रंग, शान्ति के स्वरुप, समस्त लोकों में सुन्दर, रघुकुल का तिलक, रावण के नाशक भगवान रामचन्द्र की मैं आराधना करता हूँ।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
अर्थ:- राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात के स्वरूप, रघु नाथ प्रभु और सीता पति की मैं नमन करता हूँ।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
अर्थ:- हे रघु वंशी श्रीराम ! हे भरत के जेस्ट भगवान रामचन्द्र! हे रणधीर, मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीराम ! आप मुझे आश्रय दीजिए।
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
अर्थ:- मैं एकाग्र चित्त होकर श्री राम जी का स्मरण करता हूँ और श्रीराम के चरणों का गुणगान करता हूँ, स्तुति के साथ और श्रद्धा पूर्वक भगवान राम के चरणों को प्रणाम करता हु और उनके चरणों मैं आश्रय लेता हूँ।
माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
अर्थ:- श्रीराम मेरे माता जी, मेरे पिता जी, मेरे स्वामी और मेरे बंधु हैं। इस प्रकार दया बाण श्री रामचंद्र मेरे सब कुछ हैं। उनके इलावा में किसी और को नहीं पहचानता हूं।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
अर्थ:- जिनके दाई स्थान पे लक्ष्मण जी, बाई स्थान पे जानकी जी और सामने श्री हनुमान जी विराजमान हैं, मैं उन्ही रघु राम जी की नमन करता हूँ।
लोकाभिरामं रनरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
अर्थ:- मैं समस्त लोकों में सबसे सुन्दर तथा युद्धकला में नाइपुन, कमल के समान अखो वाले, रघुवंश श्रेष्ठ, करुणा के सागर और श्री रामचंद्र का आश्रय में हूँ।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
अर्थ:- मन के जैसे तिब्र गति और वायु के जैसे वेग वाले, जो परम स्वामी एवं बुद्धिमानों में प्रथम हैं, वायु के नंदन, वानर में श्रेष्ठ श्री रामचंद्र का दूत (हनुमान जी) का आश्रय लेता हूँ।
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
अर्थ:- मैं कविता के डाली पर बैठकर, सुमधुर अक्षरों वाले ‘राम-राम’ के मीठे नाम को जपते हुए वाल्मीकि जैसी कोयल की जप करता हूँ।
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
अर्थ:- मैं समस्त लोकों में सबसे सुन्दर श्री रामचंद्र को बार-बार नमन करता हूँ, जो समस्त बाधाओं को दूर करने वाले तथा सुख समृद्धि प्रदान करने वाले हैं।
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
अर्थ:- ‘राम’ के नाम करने से जीव के सभी परेशानी खत्म हो जाता हैं। वह समस्त सुख समृद्धि तथा ऊंचाई प्राप्त कर लेता हैं। राम नाम की आराधना से शत्रु सदा भयभीत रहते हैं।
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
अर्थ:- समस्त राजा में श्रेष्ठ श्री रामचंद्र सदा ही विजय को प्राप्त करते हैं। मैं लक्ष्मी-पति प्रभु श्रीराम का भजन करता हूँ। समस्त राक्षस कुल का संघार करने वाले श्रीराम को मैं प्रणाम करता हूँ। श्रीराम के जैसे और कोई शरणदाता नहीं। मैं उन शरण लिए वत्सलो दास हूँ। मैं हर समय श्री रामचंद्र मैं लीन रहूँ। हे श्री राम! आप मेरा और इस संसार से उद्धार करें।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
अर्थ:- (शिव महादेव पार्वती जी को कहते हैं) हे सुमुखी ! राम के नाम ‘विष्णु के सहस्त्र नाम’ के समान हैं। मैं सदा राम का श्रद्धा करता हूँ और राम नाम में ही लीन हूँ।
इति श्रीबुधकौशिक रचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
रामरक्षा स्तोत्र पाठ के विधि | Process of Chanting Ram Raksha Stotra
रामरक्षा स्तोत्र पाठ करने की विधि भी बहुत सरल और सहज है:
- सुबह में सबसे पहले बिस्तर से उठ कर स्नान आदि करके स्वयं को स्वच्छ कर ले।
- इसके बाद आप रामरक्षा स्तोत्र को शुद्ध मन से पाठ कर सकते हैं।
- एक स्वच्छ ऊंची जगह पर प्रभु श्री राम का चित्र या मूर्ति स्थापन करें।
- उसके बाद प्रभु को फूल और फलौदी के भोग अर्पण करें।
- अब जरूर से एक कुश की आशंका इंतजाम करने की कोशिश करें, क्योंकि इसका प्रयोग बहुत ही आवश्यक माना जाता है।
- उसके आसन के ऊपर आप सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन में बैठ करके पाठ कर सकते हैं।
- जैसे गुरुवार को भगवान श्री विष्णु को समर्पित किया गया है, वैसे ही गुरुवार के दिन ही श्री विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम का पूजा और आराधना किया जाता है।
- रामरक्षा स्तोत्र को नवरात्रि के 9 दिनों में लगातार पाठ करना बहुत ही लाभदाई माना जाता है, अगर आप कर सके तो।
- इस रामरक्षा स्तोत्र को हर दिन 11 बार नियमित पाठ करें। अगर आप 11 बार पाठ करने की समय ना निकाल पाए, तो कम से कम 3 बार इसकी पाठ हर दिन जरूर करें।
रामरक्षा स्तोत्र पाठ के फायदे | Benefits Of Chanting Ram Raksha Stotra Hindi
रामरक्षा स्तोत्र पाठ का लाभ का व्यक्ति अनंत है, अगर कुछ फायदे की व्याख्या करें तो:
- कहा जाता है कि जो भी राम रक्षा स्तोत्र को नियमित पाठ करता है और इसकी ज्ञान को अपने अंदर संपूर्ण रूप से समाहित कर देता है, तो कोई भी काम उस व्यक्ति के लिए असंभव नहीं होता, वह हर काम में स्वयं सिद्ध और सफल होने के काबिल बन जाता है।
- जैसे इसकी नाम सूचित करता है, रामरक्षा स्तोत्र के नियमित पाठ जो व्यक्ति करता है, भगवान स्वयं स्वयं उसकी रक्षा करता रहता है।
- इसके नियमित पाठ से मनसे हर तरह के संदेह और और भय का संपूर्ण रूप से खत्म हो जाता है।
- इसकी नियमित पाठ व्यक्ति के शरीर और मन को कठोर बनाके दीर्घायु प्रदान करता है।
- रामरक्षा स्तोत्र के नियमित पाठ शनि और मंगल ग्रहों की बुरी प्रभाव आपके जीवन में से मिटा देता है।
- रामरक्षा स्तोत्र के पाठ से प्रभु श्री राम की परम भक्त श्री हनुमान जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- इसके लिए अमित पाठ आपको हर तरह की परेशानी और बुरी चीजों से छुटकारा दिलाता है।
- अतीत में आप कोई भी बुरा काम किया हो, उसकी प्रभाव को मिटा कर आपको नई तरह से जीवन शुरू करने की प्रेरणा प्रदान करता है।
राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में डाउनलोड | Download Ram Raksha Stotra in Hindi
FAQs – Ram Raksha Stotra in Hindi PDF
1. रामरक्षा स्तोत्र कहां से डाउनलोड करें | From Where I can Download Ram Raksha Stotra?
अब राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में यहां से डाउनलोड कर सकते हैं – you can Download Ram Raksha Stotra PDF in Hindi from here.
2. राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में कैसे डाउनलोड करें – How to Download Ram Raksha Stotra in Hindi?
अब राम रक्षा स्तोत्र इस पोस्ट में डाउनलोड कर सकते हैं – you can Download Ram Raksha Stotra PDF in this post.
3. रामरक्षा स्तोत्र पाठ के फायदे क्या है – What are the Benefits of Chanting Ram Raksha Stotra?
रामरक्षा स्तोत्र के सारे फायदे और नुकसान यहां से जान ले।
4. रामरक्षा स्तोत्र के रचयिता कौन है?
राम रक्षा स्तोत्र के रचयिता है ऋषि बुधकौशिक।